कोई भी नज़राना दे दे ,
राही को एक ठिकाना दे दे
या तो मरहम कर दे आ कर
या कोई दर्द पुराना दे दे
मैं भी गाऊं तनहा तनहा
साँसों का अफसाना दे दे
मैं भी अब पैमाना भर लूँ
राही को एक ठिकाना दे दे
या तो मरहम कर दे आ कर
या कोई दर्द पुराना दे दे
मैं भी गाऊं तनहा तनहा
साँसों का अफसाना दे दे
मैं भी अब पैमाना भर लूँ
काग़ज़ का मयखाना दे दे
इन्द्रधनुष सी रंगों वाला
बचपन का ज़माना दे दे
रुसवा कर के इक काफिर को
गलियों को दीवाना दे दे
मेरे हर्फों को थोड़ा सा
लहजा शायराना दे दे
आ मेरे टूटे तीरों को
यारा तल्ख़ निशाना दे दे
नील नज़र को खामोशी में
जीने का कोई बहाना दे दे
इन्द्रधनुष सी रंगों वाला
बचपन का ज़माना दे दे
रुसवा कर के इक काफिर को
गलियों को दीवाना दे दे
मेरे हर्फों को थोड़ा सा
लहजा शायराना दे दे
आ मेरे टूटे तीरों को
यारा तल्ख़ निशाना दे दे
नील नज़र को खामोशी में
जीने का कोई बहाना दे दे
बेहतरीन गज़ल
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeletebahut aabhaar sangeeta ji
ReplyDeletedhanyavaad praveen ji